गुरुवार, 6 अगस्त 2009

आज का सच !!

प्रथम रश्मि का आना
अब किसने है जाना?
पक्षी तो गुम हैं ,
जो हैं,उन्हें आभास नहीं,
दिन चढ़ आया है !
कमरे के अन्दर सुबह खर्राटे लेती है,
१२ बजे आँखें खोलती है,
आधी रात को गुड नाईट करती है!
सारे जोड़-घटाव ,
उल्टे बहाव में हैं ,
जीवन की भागदौड़ में,
सबकुछ उल्टा हो चला है !!

11 टिप्‍पणियां:

  1. aajkal to sach me sab ulta pulta hi ho raha hai....shayad zamana badal gaya???

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  2. दिन चढ़ आया है !
    कमरे के अन्दर सुबह खर्राटे लेती है,
    १२ बजे आँखें खोलती है,
    आधी रात को गुड नाईट करती है!
    ....Filhal sachhai to yahi hai..sundar abhivyakti.

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  3. दिन चढ़ आया है !
    कमरे के अन्दर सुबह खर्राटे लेती है,
    १२ बजे आँखें खोलती है,
    आधी रात को गुड नाईट करती है!
    सटीक अभिव्यक्ति आज के सच पर ये सब पश्चिम का रम्ग है जो यहाँ ही सब बदल रहा है आभार्

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  4. समाज का सच दिखे...यही कवि-कर्म है. सुन्दर व सार्थक प्रस्तुति..बधाई.

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  5. १२ बजे आँखें खोलती है,
    आधी रात को गुड नाईट करती है!

    महानगरों की ये संस्कृति , नगरों और कस्बों के रस्ते गाँव में भी प्रवेश कर गई है...

    अच्छी रचना के लिए बधाई...

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  6. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  7. सारे जोड़-घटाव ,
    उल्टे बहाव में हैं ,
    जीवन की भागदौड़ में,
    सबकुछ उल्टा हो चला है !!!
    ....Sarthak bhavabhivyakti.

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  8. दिल को छूती है आपकी ये कविता...साधुवाद.

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