कुँवारी किरणें
सद्यःस्नात सी लगती हैं
हर रोज सूरज की किरणें।
खिड़कियों के झरोखों से
चुपके से अन्दर आकर
छा जाती हैं पूरे शरीर पर
अठखेलियाँ करते हुये।
आगोश में भर शरीर को
दिखाती हैं अपनी अल्हड़ता के जलवे
और मजबूर कर देती हैं
अंगड़ाईयाँ लेने के लिए
मानो सज धज कर
तैयार बैठी हों
अपना कौमार्यपन लुटाने के लिए।
कृष्ण कुमार यादव
वेलेंटाइन-डे पर बेहतरीन प्रस्तुति...वेलेंटाइन-डे की शुभकामनायें !!
जवाब देंहटाएं________________ _________________
"शब्द-शिखर" पर सेलुलर जेल के यातना दृश्य....और वेलेंटाइन-डे पर "पहला प्यार" !
खूबसूरत अभिव्यक्तियाँ..प्यार के इस अल्हड़ मौसम में आप यूँ ही प्रेम का गीत गुनगुनाते रहें.
जवाब देंहटाएंबेहद निराले अंदाज में लिखी कविता. प्रेम-दिवस पर इस बेहतरीन प्रस्तुति के लिए के. के. यादव जी को बधाई.
जवाब देंहटाएंBeautiful Poem on Valentine Day...Congts.
जवाब देंहटाएंबेहतरीन। लाजवाब।
जवाब देंहटाएंबढ़िया है..
जवाब देंहटाएंभावनाओं का सुन्दर संगमन व प्यार का अद्भुत अहसास परिलक्षित होता है इस कविता में.
जवाब देंहटाएं