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मंगलवार, 4 अगस्त 2009

अंतर

सारी रात

आँखों की बारिश में

दर्द के ओले गिरते गए ...

उन्हें फोटोग्राफी का जूनून है

लेते गए तस्वीर.....

तस्वीर की बेबस मुस्कान

शर्मीली मुस्कान बनी

लाल आँखें हया का आइना बनी

सब्ज़ ओले बर्फ हो गए.............

हकीकत और चित्र में कितना अंतर होता है

8 टिप्‍पणियां:

Dr. Tripat Mehta ने कहा…

sach kya khoob likha hai aapne...

बेनामी ने कहा…

Ap Yuva blog par bahut din bad ayin, par usi andaj men behatrin prastuti...nirantarata banayen rakhen !!

बेनामी ने कहा…

Bahut khub Akanksha Ji! Historical information ke sath vartman parivesh men rakhi par lajwab prastuti.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

बहुत सुन्दर अभिव्यक्तियाँ...बधाई.

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

तस्वीर की बेबस मुस्कान
शर्मीली मुस्कान बनी
लाल आँखें हया का आइना बनी
...वाह, बहुत खूब लिखा आपने.

Akanksha Yadav ने कहा…

Nice one.

Amit Kumar Yadav ने कहा…

Welcome back Rashmi ji...We will be able to see ur creativity again.

रश्मि प्रभा... ने कहा…

shukriyaa aap sab ka