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बुधवार, 24 फ़रवरी 2010

सदन के हंगामे को देख खिन्‍न हुए बच्‍चे

यह उन बड़ों [नेताओं] के लिए बच्चों की चेतावनी है, जो हंगामा करते हैं। बच्चे अपने राज में उन्हें खारिज कर देंगे। जिस बच्चे को अपनी प्रतीकात्मक विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष की भूमिका निभानी है, उसका मानना है कि हंगामा तो एक मायने में गड़बड़ियों का संरक्षण है। बच्चों को हंगामा पसंद नहीं है। वे हर स्तर पर बेहद अनुशासन चाहते हैं।

बिहार विधानसभा की दर्शक दीर्घा में मंगलवार को समानातर लोकतात्रिक संसदीय व्यवस्था के किरदार भी बैठे थे। विधानसभा अध्यक्ष, मुख्यमंत्री, मंत्री से लेकर नेता प्रतिपक्ष तक। नीचे वेल में बड़ों के हंगामे, उसकी वजह-यानी सभी सब कुछ देख रहे थे। बच्चे जोरदार नारे की हर नई आवाज पर बुरी तरह चौंकते थे। चेहरे पर इकट्ठे ऐसे भाव, मानों कह रहे हों-राम-राम, ये बड़े लोग कर क्या रहे हैं; क्यों ऐसी नौबत आने दी गई? बच्चे, बड़ों के मुतल्लिक बड़ी ही खराब धारणा लेकर लौटे। कहने को ये बाल संसद के चुनिंदे प्रतिभागी थे मगर उनकी बातें .! खुद सुनिए। मुख्यमंत्री आर्या मिश्रा बोल रही हैं-मैं ऐसी स्थिति ही नहीं आने दूंगी। जब ऐसे किसी मसले की गुंजाइश न रहेगी, तो फिर किसी को कुछ बोलने का मौका नहीं मिलेगा। आर्या, मिलर हाईस्कूल में 9वीं कक्षा की छात्रा है मगर उसे व्यवस्था, तंत्र की बखूबी जानकारी है। बोली-कानून व व्यवस्थाओं की कमी नहीं है, संकट उनके अनुपालन का है। मैं डिलीवरी सिस्टम पर पूरा ध्यान दूंगी।

मुख्यमंत्री जी विपक्ष के हंगामे पर बिफर पड़ीं। उनको तो पता भी न चला कि आज आखिर मुद्दा क्या है? कहा-ये कोई तरीका है? समय की बर्बादी है। जनता की गाढ़ी कमाई को बेकार करने की बात है। विपक्ष सरकार का अभिन्न अंग है। उसे अपनी यह भूमिका नहीं भूलनी चाहिये। सदन का मूल मकसद है-जनता के अरमानों का वाहक बनना। इस कदर हंगामे में यह उद्देश्य पूरा होगा? संयोग से आर्या जी को बड़ा ही सकारात्मक नेता प्रतिपक्ष मिला है। जनाब का नाम कासिफ नजीर है। बोले-मैं अपने लोगों [विपक्षी सदस्यों] को कभी भी इस भूमिका में आने न दूंगा। ऐसे समस्या का समाधान थोड़े ही होगा? बातचीत हर मसले का हल है। तथ्य या सबूत के आगे किसी का भी जोर नहीं चल सकता है। हम तथ्यपरक मसले उठाएंगे। इसी के बूते सरकार को घेरेंगे। सरकार कैसे अपने कारनामे छुपा लेगी? हंगामा तो एक मायने में गड़बड़ियों का संरक्षण है। क्रिया-प्रतिक्रिया में आरोपी के संरक्षित रहने का भी खतरा होता है। पीएन एंग्लो हाईस्कूल के 11वीं का यह छात्र विरोध के गाधीवादी तरीके में हाईस्कूल के 11वीं का यह छात्र विरोध के गाधीवादी तरीके में ज्यादा भरोसा रखता है। फिर हम अध्यक्ष जी के पास थे। ये हैं उच्जवल कुमार। उनका दावा है-मैं गार्जियन की भूमिका में रहूंगा। जब दोनों पक्षों का समान उद्देश्य है, तो फिर तकरार की बात कहा से आती है? मंत्रियों तथा विपक्ष के अन्य सदस्यों की भी कमोवेश यही राय। बहरहाल, बच्चे 6 मार्च को अपने राजकाज के गुणों से बड़ों को अवगत करायेंगे। इस दिन विधानसभा एनेक्सी में उनकी संसद बैठेगी।
साभार : जागरण

आकांक्षा यादव

6 टिप्‍पणियां:

Shahroz ने कहा…

हा..हा..हा...बच्चे, मन के सच्चे..नेता लोग से दूर ही रहना.

S R Bharti ने कहा…

लाजवाब व प्रासंगिक बात.

KK Yadav ने कहा…

Badhiya likha...

___________
शब्द सृजन की ओर पर पढ़ें- "लौट रही है ईस्ट इण्डिया कंपनी".

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

हम भी खिन्न हो जाते हैं इस दुर्दशा पर...

सुशीला पुरी ने कहा…

हाँ मुझे आपक ब्लॉग को देखकर अच्छा लगा .....मै भी यहाँ लिखुंगी , धन्यवाद .

सुशीला पुरी ने कहा…

हाँ मुझे आपक ब्लॉग को देखकर अच्छा लगा .....मै भी यहाँ लिखुंगी , धन्यवाद .