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सोमवार, 3 मई 2010

युवाओं से...


आकाश में उड़ान लेते वक्त
तेरे मजबूत कंधे पर
आकाश भार ले
तू कल का भविष्य
देश का वर्तमान आधार
कर्तबगार........

तू परिवर्तनशील समाज दायरे का
मध्यबिंदु
तू क्रांति के सपनों का
साध्यबिंदु....

तेरे रग-रग में बहती खून की
गरमी
तेरे रोम-रोम में जवानी जोशीली
सहमी-सहमी....

तुझे असत्यं का पर्दाफाश करना है
सत्यम शिवम् सुंदरम से
तुझे भ्रष्टाचार का तम मिटाना हैं
क्रांति की मशाल से.......
अब तुझे से ही आशा है
तुझे देश की धारा में बहना है !!

मीना खोंड, हैदराबाद

7 टिप्‍पणियां:

मनोज कुमार ने कहा…

विचारोत्तेजक।

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

तुझे असत्यं का पर्दाफाश करना है
सत्यम शिवम् सुंदरम से
तुझे भ्रष्टाचार का तम मिटाना हैं
क्रांति की मशाल से.......
अब तुझे से ही आशा है
तुझे देश की धारा में बहना है !!

...युवा सोच की सुन्दर अभिव्यक्ति..बधाइयाँ.

Bhanwar Singh ने कहा…

Beautifull...!!

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

युवाओं को प्रेरणा देती है यह कविता..वाकई विचारोत्तेजक !

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

युवाओं को प्रेरणा देती है यह कविता..वाकई विचारोत्तेजक !

मन-मयूर ने कहा…

बड़ी दमदार कविता है रश्मि जी ...जोश भर देती है.

बेनामी ने कहा…

शानदार प्रस्तुति के लिए बधाई.


'सप्तरंगी प्रेम' ब्लॉग पर हम प्रेम की सघन अनुभूतियों को समेटती रचनाओं को प्रस्तुत कर रहे हैं. आपकी रचनाओं का भी हमें इंतजार है. hindi.literature@yahoo.com