आजकल हिंदी ब्लागिंग खतरे में हैं. पहले तो लोग बड़े जोर-शोर से ब्लॉगों से जुड़े, पर अब उत्साह ठंडा हो गया है. किसी की शिकायत है कि अब लिखने के लिए समय ही नहीं मिलता तो कोई मात्र पब्लिसिटी और चेहरा दिखाने के लिए तमाम ब्लॉगों से जुड़ता गया. कई लोग सामुदायिक ब्लॉग तो खोल बैठे हैं, पर अन्य ब्लॉगों पर झाँकने की फुर्सत ही नहीं. कई सामुदायिक ब्लॉगों पर तो महीने भर तक पोस्ट ही नहीं आती, आई भी तो 1-2, मात्र खानापूर्ति के लिए कि हम भी जिन्दा हैं. कुछ की शिकायत है कि कितना भी धारदार लिखो, कोई पढता ही नहीं या फिर टिपण्णी ही नहीं करता. लोग एक साथ कई ब्लॉगों से जुड़े हुए हैं, कईयों को फालो कर रहे हैं...पर संजीदगी से कोई भी ब्लॉग-धर्म का निर्वाह नहीं कर रहा है.
पोस्टें आती हैं, जाती हैं, पर कोई असर नहीं डालतीं. पढने के नाम पर इतना बड़ा मजाक कि टिप्पणियां उसकी गवाही देनी लगती हैं. इन टिप्पणियों पर कोई गौर करे तो अपने को दुनिया का सबसे बड़ा रचनाकार मानने की भूल कर बैठे. एक ही टिप्पणियां हर ब्लॉग पर विराजती हैं, फिर कहाँ से हिंदी ब्लोगिंग का विकास होगा. हिंदी ब्लागिंग के नाम पर लोग संगठन बनाकर और सम्मलेन कराकर अपनी मठैती चमका रहे हैं. यही कारण है कि कई पत्र-पत्रिकाओं ने बड़े मन से ब्लॉगों की चर्चा आरंभ की, पर फिर इसे बंद ही कर दिया. कई अच्छे ब्लॉग सरेआम पोस्ट लगाकर पूछ रहे हैं की क्या पोस्ट
न आने के कारण ब्लॉग बंद कर दिया जाय.
आज जरुरत हिंदी-ब्लागरों के आत्म विश्लेषण की है. हिंदी ब्लागिंग में अभी भी गंभीरता से देखें तो कुछ ही ब्लॉग हैं, जो नियमित अप-डेट होते हैं. ब्लॉग के नाम पर अराजकता ज्यादा फ़ैल रही है. यहाँ किसी पोस्ट का कंटेंट नहीं, बल्कि जान-पहचान ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है, फिर गंभीर लोग इससे क्यों जुड़ना चाहेंगें. सुबह उठकर ही पचासों ब्लॉग पर बढ़िया है, लाजवाब है, बहुत खूब जैसी टिप्पणियां देकर लोगों को भरमाने वाले अपने ब्लॉग पर उसके एवज में टिप्पणियां जरुर बटोर रहे हैं, पर इससे ब्लागिंग का कोई भला नहीं होने वाला. ब्लोगों पर जाति, क्षेत्र, रिश्तेदारी, संगठन, सम्मलेन, राजनीति, विवाद सब कुछ फ़ैल रही है, बस नहीं है तो गंभीर लेखन और रचनात्मकता. कहीं यह ब्लागिंग से लोगों का मोह भंग होने का संकेत तो नहीं ??
अमित कुमार यादव
पोस्टें आती हैं, जाती हैं, पर कोई असर नहीं डालतीं. पढने के नाम पर इतना बड़ा मजाक कि टिप्पणियां उसकी गवाही देनी लगती हैं. इन टिप्पणियों पर कोई गौर करे तो अपने को दुनिया का सबसे बड़ा रचनाकार मानने की भूल कर बैठे. एक ही टिप्पणियां हर ब्लॉग पर विराजती हैं, फिर कहाँ से हिंदी ब्लोगिंग का विकास होगा. हिंदी ब्लागिंग के नाम पर लोग संगठन बनाकर और सम्मलेन कराकर अपनी मठैती चमका रहे हैं. यही कारण है कि कई पत्र-पत्रिकाओं ने बड़े मन से ब्लॉगों की चर्चा आरंभ की, पर फिर इसे बंद ही कर दिया. कई अच्छे ब्लॉग सरेआम पोस्ट लगाकर पूछ रहे हैं की क्या पोस्ट
न आने के कारण ब्लॉग बंद कर दिया जाय.
आज जरुरत हिंदी-ब्लागरों के आत्म विश्लेषण की है. हिंदी ब्लागिंग में अभी भी गंभीरता से देखें तो कुछ ही ब्लॉग हैं, जो नियमित अप-डेट होते हैं. ब्लॉग के नाम पर अराजकता ज्यादा फ़ैल रही है. यहाँ किसी पोस्ट का कंटेंट नहीं, बल्कि जान-पहचान ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है, फिर गंभीर लोग इससे क्यों जुड़ना चाहेंगें. सुबह उठकर ही पचासों ब्लॉग पर बढ़िया है, लाजवाब है, बहुत खूब जैसी टिप्पणियां देकर लोगों को भरमाने वाले अपने ब्लॉग पर उसके एवज में टिप्पणियां जरुर बटोर रहे हैं, पर इससे ब्लागिंग का कोई भला नहीं होने वाला. ब्लोगों पर जाति, क्षेत्र, रिश्तेदारी, संगठन, सम्मलेन, राजनीति, विवाद सब कुछ फ़ैल रही है, बस नहीं है तो गंभीर लेखन और रचनात्मकता. कहीं यह ब्लागिंग से लोगों का मोह भंग होने का संकेत तो नहीं ??
अमित कुमार यादव
29 टिप्पणियां:
सही कहा आपने .....सुन्दर लेखन ।
समय के साथ धीरे धीरे दिशा होगी.
kabhi kabhi sadsya so jaatey haen yaa aatma manthan kartey haen unko bahar lana jarurii haen so jagaanae ki koshish jaari haen
यहाँ किसी पोस्ट का कंटेंट नहीं, बल्कि जान-पहचान ज्यादा महत्वपूर्ण हो गई है, फिर गंभीर लोग इससे क्यों जुड़ना चाहेंगें.सोशल नेटवर्किंग चल रही है .
सही कह रहे हैं, पाठ्य सामग्री कम होती जा रही है। धर्म, सम्प्रदाय आदि के गुणगान से भरी हैं पोस्ट। लेकिन हिम्मत मत हारिए बस अच्छा लिखते रहिए। एक दिन सुबह जरूर आएगी।
वर्तमान परिस्थितियों को देखा जाए तो--समय नष्ट करने का सबसे श्रेष्ठ साधन---अर्थात हिन्दी ब्लगिंग !!!
nice
यह पूर्वाभास तो है ही ...अगर बिलकुल वर्तमान नहीं ....
ब्लॉग का गाम्भीर्य लौटाना पड़ेगा।
यादव जी, आपने सही मुद्दा उठाया है....
आजकल यही सब हो रहा है और इससे भी ज्यादा किसी ने कोई पोस्ट लिखी - दूसरे ने उसके प्रतिवाद में लिख दिया... तीसरे नें भारी मन से इन दोनों का हवाला देते हुवे पोस्ट लिख दी - और चोथे ने अपने ढंग से न लिख कर इन तीनों का घालमेल को ही अस्पष्ट सा लिख दिया.
मैं ये मानता हूँ, कि मेरा ब्लॉग - मेरी दैनिक अखबार या साप्ताहिक पत्र, मासिक पत्रिका या फिर सालाना रिपोर्ट कि तरह है... मैं संपादक हूँ, मुझे अपनी मर्ज़ी और अपनी मस्ती से लिखना है - बिना टीप की परवाह किये हुवे...... कोई लाला का विज्ञापन तो आ नहीं रहा कि उसका यशोगान किया जाए.
मात्र ग्रुप बनाने के लिए किसी की पोस्ट का हवाला क्यों दें........ क्यों किसी की पोस्ट पर ही अपनी पोस्ट लिखी जाए.... अगर किसी से कोई शिकायत है तो उसे मात्र ईमेल भेज कर या फिर उसी के ब्लॉग पर टीप कर के बता दिया जाए. अपनी पोस्ट लिखने का ओचित्य क्या है.
और अगर ब्लॉगजगत का भला चाहते हो तो मेरे ख्याल से चिटठा जगत को ही बंद कर देना चाहिए.....
बस
जय राम जी की....
हमारा देश भारतवर्ष अनेकता में एकता, सर्वधर्म समभाव तथा सांप्रदायिक एकता व सद्भाव के लिए अपनी पहचान रखने वाले दुनिया के कुछ प्रमुख देशों में अपना सर्वोच्च स्थान रखता है, परंतु दुर्भाग्यवश इसी देश में वैमनस्य फैलाने वाली तथा विभाजक प्रवृति की तमाम शक्तियां ऐसी भी सक्रिय हैं जिन्हें हमारे देश का यह धर्मनिरपेक्ष एवं उदारवादी स्वरूप नहीं भाता. .अवश्य पढ़ें धर्म के नाम पे झगडे क्यों हुआ करते हैं ? हिंदी ब्लॉगजगत मैं मेरी पहली ईद ,इंसानियत शहीद हम बोलेगा तो बोलोगे की बोलता है
समाज को आज़ाद इंसान बनाया करते हैं
ब्लोगेर की आवाज़ बड़ी दूर तक जाती है, इसका सही इस्तेमाल करें और समाज को कुछ ऐसा दे जाएं, जिस से इंसानियत आप पे गर्व करे.
बस नहीं है तो गंभीर लेखन और रचनात्मकता. कहीं यह ब्लागिंग से लोगों का मोह भंग होने का संकेत तो नहीं ??
सही कहा…………वे जो स्थापित ब्लोगर्स है,उन्हे इस भयानक स्थिति से हिन्दी ब्लोगिंग को बाहर लाने में गम्भीर प्रयत्न करने चाहिए।
चिंतन योग्य
हिम्मत मत हारिए
बिसारिए मत ब्लॉग
गंभीरता भी आएगी
जोर से हंसिए जनाब।
गोवा में हिन्दी ब्लॉगर मिलन संपन्न, रोहतक में रविवार को
गोवा में हिन्दी ब्लॉगर मिलन संपन्न, रोहतक में रविवार को
अपने हिस्से का काम करें-लगे रहें..सब अच्छा होगा.
कह तो ठीक रहे हो ...फिर भी ब्लॉग जगत को शुभकामनायें !
कितना भी धारदार लिखो, कोई पढता ही नहीं ...
हम पढते हैं भाई ..! दिन भर में कई अच्छे आलेख और कविताएं भी। विश्वास न हो तो आज की चर्चा मंच देख लीजिए और बताइए कि इसमें कौन बकवास है।
आजकल तो काफ़ी गंभीर लेखन भी कर रहे हैं। पढिए ना आकर।
और हां ....
... आलेख बढ़िया है, लाजवाब है, बहुत खूब लिखा है ...
.... सिर्फ़ यही टिप्पणी नहीं की है।
"इन टिप्पणियों पर कोई गौर करे तो अपने को दुनिया का सबसे बड़ा रचनाकार मानने की भूल कर बैठे. एक ही टिप्पणियां हर ब्लॉग पर विराजती हैं, फिर कहाँ से हिंदी ब्लोगिंग का विकास होगा."
यही बातें हमने पहले भी बार बार कहा है, किन्तु हमारे कहने का कुछ भी परिणाम न मिल पाने के कारण अब कहना छोड़ दिया है।
हमने तो यही अनुभव किया है कि अधिकतर लोग हिन्दी ब्लोगिंग का विकास करने के लिए नहीं बल्कि दुनिया का सबसे बड़ा रचनाकार बनने के उद्देश्य से ही ब्लोगिंग कर रहे हैं।
हर कोई अपना काम ईमानदारी से करता रहे ,यही कामना है ।
Apka kathan sahi hai.bloggerssahi tarike se pratikriya nahi dete hain.Satik post.
विचारणीय विषय है.... क्योंकि इससे लेखन की गंभीरता खो गयी है....
http://indianwomanhasarrived.blogspot.com/2010/11/blog-post_9611.html
हिंदी ब्लागिंग की दशा-दिशा पर सटीक पोस्ट...अब जरुरत कुछ करने की है.
सही कहा भाई अपने....
यह तो होना ही था.
शुरुआत से पहले ही यह हस्र..खैर आशाओं पर दुनिया टिकी है. अमित जी ने अच्छा लिखा.
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