शनिवार, 1 मई 2010
मजदूर (विश्व मजदूर दिवस पर)
जब भी देखता हूँ
किसी महल या मंदिर को
ढूँढने लगता हूँ अनायास ही
उसको बनाने वाले का नाम
पुरातत्व विभाग के बोर्ड को
बारीकी से पढ़ता हूँ
टूरिस्टों की तीमारदारी कर रहे
गाइड से पूछता हूँ
आस-पास के लोगों से भी पूछता हूँ
शायद कोई सुराग मिले
पर हमेशा ही मिला
उन शासकों का नाम
जिनके काल में निर्माण हुआ
लेकिन कभी नहीं मिला
उस मजदूर का नाम
जिसने खड़ी की थी
उस मंदिर या महल की नींव
जिसने शासकों की बेगारी कर
इतना भव्य रूप दिया
जिसकी न जाने कितनी पीढ़ियाँ
ऐसे ही जुटी रहीं महल व मंदिर बनाने में
लेकिन मेरा संघर्ष जारी है
किसी ऐसे मंदिर या महल की तलाश में
जिस पर लिखा हो
उस मजदूर का नाम
जिसने दी उसे इतनी भव्यता !!
कृष्ण कुमार यादव/ KK Yadav
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7 टिप्पणियां:
मजदूर दिवस पर सारगर्भित प्रस्तुति...के.के. यादव जी को साधुवाद !!
श्रमिक दिवस के बहाने सुन्दर कविता रची..हार्दिक बधाई.
कविता ही सही, पर व्यवस्था पर सीधी चोट...मजदूर तो हर तरफ से मार खा रहे हैं. काहे की बधाई दें.
कविता ही सही, पर व्यवस्था पर सीधी चोट...मजदूर तो हर तरफ से मार खा रहे हैं. काहे की बधाई दें.
मजदूर दिवस पर प्रासंगिक रचना...दिवस की बधाई.
बढ़िया है..
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'पाखी की दुनिया' में 'वैशाखनंद सम्मान प्रतियोगिता में पाखी'
बेहद समसामयिक रचना...
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