एक बार पुनः
अतीत ने अपनी श्रेष्ठता
वर्तमान पर सिद्ध की
हम काफी दिनों से बात
कर रहे थे भ्रष्टाचार पर प्रहार की
एक दूसरे का मुंह देख रहे थे
कौन करे प्रारंभ बस यही सोच रहे थे
इसी बीच उम्र को चुनौती देते हुए
एक सत्तर साल के युवा ने
हमारे बेचैनी को देखा
एक बार पुनः अतीत की अगुआई
करते हुए वर्तमान को सीख
देने की मुद्रा में मोर्चा खोला
न केवल विजयश्री का
किया वरण
वरन भ्रष्टाचार भी मांगता
दिखा शरण
हाँ इस मुद्दे पर देशव्यापी
समर्थन युवाओं ने भरपूर दिया
ऊब चुके है इस व्यवस्था से
अपनी पुरजोर उपस्थिति से
यह सिद्ध किया
काश इसका आगाज
और पहले हो गया होता
तो देश इक्कीसवी सदी में
नए जोश और जज्बातों के साथ
कब का पहुँच गया होता
निसंदेह आज की तमाम
समस्याओं की जननी है
भ्रष्टाचार की यह विषबेल
निश्चित रूप से अब
समाप्त हो जानी चाहिए
यह नूरा कुश्तियों का खेल
पर सनद रहे
अन्ना हजारे से मिली उर्जा को
हमें संजो कर रखना होगा
इस लगी हुई आग को किसी
कीमत पर बुझने देना नहीं होगा
अन्ना के त्याग ने रखी है
जिस सत्य अहिंसा पर आधारित
लड़ाई की पुनः नीव
लगभग वर्तमान परिवेश में
विलुप्त हो चुके गाँधी की
प्रासंगिकता को किया है पुनः सजीव
तभी इस आन्दोलन की
सार्थकता फलित होगी
वर्ना इन भ्रष्टाचारियों की एक
नयी व्यवस्था के साथ
पुनः विषबेल बढेगी
कर ले हम चाहे
कितनी ही ऊँची बाते
करले कितने ही दौर की मुलाकाते
पर सच्चाई यही है कि
अतीत को बिसरा कर
बनती नहीं बातें
निकट अतीत कि घटना ने
इस बात के इतिहास को
पुनः दोहराया
कि सत्य परेशान भले ही हो
पर पराजित कभी हो नहीं पाया
बेशक यह कुछ लोगो के लिए
वही होता रहा है जो
उनको है नहीं भाया
पर देर से ही सही अन्ना ने
उनको भी जमीन पर लाया
संभव है आगे भविष्य में
ऐसे और मोर्चे अवश्य ही खोलने होगे
बेशक अन्ना हमारे साथ नहीं होगे
अतः हमें तैयार और जागरूक
इस निमित्त रहना होगा
एक नूतन शंखनाद के लिए
अन्ना से मिली उर्जा को
हमें सुरक्षित रखना होगा
बुधवार, 13 अप्रैल 2011
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6 टिप्पणियां:
जरूरी है।
anna ji ke jajbe aur husle ko salam
saath hi is rachna ke liye aapko
thnx
khoobshurat
उर्जा तो खुद से ही लेना बेहतर है. उधार की उर्जा कब तक ??
उर्जा तो खुद से ही लेना बेहतर है. उधार की उर्जा कब तक ??
बेहतरीन कविता..बधाई.
Urja ka upyog bhi hona chahiye..ati sundar
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