फ़ॉलोअर

गुरुवार, 8 सितंबर 2011

शहीदों को पैदा करने का ठेका



मम्मी देखों
क्या गजब हो गया
गुड्डू का सेकेण्ड लेफ्टिनेंट में
चयन हो गया
उसे परसों जाना है
घर में प्रवेश करते हुए आशु ने कहा

चलो अच्छा हुआ
बेचारा बहुत दिनों से रोजगार के लिए
प्रयासरत और परेशान था
देश की सेवा करने का पुण्य फल
अंततः उसे प्राप्त हो गया
निरापद यदि सीमा की रक्षा करते हुए
शहीद भी हो गया
तो इतिहास में अमर हो जायेगा
अमर जवान ज्योति का
हिस्सा बन जायेगा
साथ ही कुल कुल खानदानका नाम भी
रोशन कर जायेगा
सम्प्रति आज देश को आवश्यकता है
जहाँ अन्ना जैसे कर्तव्यपरायण
निःस्वार्थ एकनिष्ठ
सामाजिक कार्यकर्ता की
वही आवश्यकता है
ऐसे ही वीर कर्तव्यनिष्ठा
साहसी युवावों की
जो अपनी वीरता से अपना नाम
स्वर्णाक्षरों में लिखा जायेगें
मरने के उपरांत भी पूरे सम्मान से
याद किये जायेगें

चलो जल्दी से फ्रेश हो लो
चलके उसे और उसके परिवार को
उसकी इस सफलता पर
बधाई तो दे दे

अपने आप को संभालते हुए
आशु ने पुनः कहा
माँ मेरा भी उसके साथ ही
चयन हो गया है
मुझे भी परसों उसके साथ जाना है
क्या कहा गरजते हुए माँ ने कहा
एकाएक पूरा परिदृश्य बदल जाता है
माहौल ग़मगीन और
एकपक्षीय हो जाता है
तो तुम सेना में जाओगे
तुम्हे कोई और काम नहीं मिला है
तेरा दिमाग ख़राब हो गया है
क्या इसी दिन के लिए तुम्हे
पैदा किया था
पाल पोस कर इतना बड़ा किया था
कि जब हमें सहारा देने का
वक़्त आएगा
तो तुम हमें इतनी
निष्ठुरता से भूल जायेगा
अरे इश्वर न करे कही तुम
सीमा पर शहीद हो गए
तो हम तो कहीं के न राह जायेगें
जीते जी मर जायेंगे
केवल तेरी यादों के सहारे
जिन्दगी कैसे काटेंगे
अरे कुछ तो सोचा होता
अपने इस माँ बाप का
ध्यान तो किया होता
जिनके तुम एकमात्र सहारे हो
फिर हमसे करते क्यों किनारे हो

पर माँ अभी तो तुम
गुड्डू के चयन पर इतनी
प्रसन्नता व्यक्त कर रही हो
तो मेरे चयन पर इतना
अवसादित क्यों हो रही हो
वह भी तो अपनी माँ क
एकमात्र संतान है
जबकि मेरी तो अभी एक
बहन भी विराजमान है
उसके शहादत पर यदि उसके
कुल खानदान का गौरव बढेगा
तो मेरी शहादत से मेरे खानदान का
गौरव क्यों घटेगा
चुप रहों ज्यादा बढ़ बढ़ कर
बातें मत किया करों
अपने बड़ो से जबान
मत लड़ाया करो
आज तक जो तुम्हे नीति धर्म
दर्शन ज्ञान और विज्ञानं की
जो शिक्षा दी गयी है
उसके मर्यादा भंग मत करों
अपनी मर्यादा में रहना सीखों
तुम्हे लेकर अपने भविष्य के
कितने सपने हमने बुन रखा है
ये सब बेकर की बातें
क्या शहीदों को पैदा करने का
हमने ही ठेका ले रखा है

चलो जल्दी से तैयार हो जाओ
चलकर उसे बधाई दे आयें
साथ ही तुम्हारे न जाने का
तर्कसंगत कारण उसे बता आयें

आशु बेमन से तैयार होने लगा
वह निर्मेश की उस पक्ति को
गुनगुनाने लगा
हाथ अपना कटे तो अहसास होता है
दुसरे का कटा हाथ तो बस
एक समाचार होता है
ऐसी स्वार्थयुक्त सोचों से
संकीर्णता का दीवाल खड़ा होता है
मरते तो बहुत लोग
नित्य दुर्घटनाओं में भी
फिर देश की सीमा का नाम ही
क्यों बदनाम होता है

3 टिप्‍पणियां:

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

बड़ी ही संवेदनशील पंक्तियाँ।

Dr. Zakir Ali Rajnish ने कहा…

ओज से ओतप्रोज रचना। हार्दिक बधाई।

------
क्‍यों डराती है पुलिस ?
घर जाने को सूर्पनखा जी, माँग रहा हूँ भिक्षा।

Neelkamal Vaishnaw ने कहा…

आपको अग्रिम हिंदी दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं. हमारी "मातृ भाषा" का दिन है तो आज से हम संकल्प करें की हम हमेशा इसकी मान रखेंगें...
आप भी मेरे ब्लाग पर आये और मुझे अपने ब्लागर साथी बनने का मौका दे मुझे ज्वाइन करके या फालो करके आप निचे लिंक में क्लिक करके मेरे ब्लाग्स में पहुच जायेंगे जरुर आये और मेरे रचना पर अपने स्नेह जरुर दर्शाए...
BINDAAS_BAATEN कृपया यहाँ चटका लगाये
MADHUR VAANI कृपया यहाँ चटका लगाये
MITRA-MADHUR कृपया यहाँ चटका लगाये