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रविवार, 8 फ़रवरी 2009

ऋतुराज वसंत का आगमन

ऋतुराज वसंत के आगमन के साथ ही सब कुछ बदला-बदला नज़र आता है. फिजा में रोमांस का जुनून छाने लगता है. मात्र मानव ही नहीं पूरी प्रकृति वसंत के आगोश में समा जानी चाहती है. प्रेमी अपनी प्रेमिका को रिझाने लगता है, कवि की अभिव्यक्ति परवान चढ़ने लगती है, पेडों पर नए पत्ते दिखने लगते हैं,रंग-बिरंगे फूल खिलने लगते हैं, तितलियाँ उन पर मंडराने लगती हैं, हमारी संवेदनाएं ताजगी से भर उठती हैं. वसंत-पंचमी का आगाज़ सरस्वती जी की आराधना से आरम्भ होता है तो निराला जी की जयंती भी अब इस मस्तमौले वसंत के आगाज़ के साथ ही मनाये जानी लगी है. आज के सबसे प्रसिद्द गीतकार गोपाल दास 'नीरज'' जी की जन्म-तिथि भी इसी दौरान पड़ती है. पाश्चात्य देशों से तैरता-तैरता आया वैलेंटाइन डे की खुमारी भी इन दिनों अपने शवाब पर होती है. यूँ ही वसंत को ऋतुराज नहीं कहा गया है. फ़िलहाल यह मेरा सबसे पसंदीदा मौसम है और शायद आपका भी. तो आइये इसे जी भर कर जी लेते हैं. पता नहीं कब यह ख़त्म हो जाय. जिस तरह से पारिस्थितिक असंतुलन पैदा हो रहा है, उसमें सदैव यह भय बना रहता है कि ऋतुराज कितने दिन के मेहमान हैं !!!

11 टिप्‍पणियां:

बेनामी ने कहा…

तो आइये इसे जी भर कर जी लेते हैं. पता नहीं कब यह ख़त्म हो जाय. जिस तरह से पारिस्थितिक असंतुलन पैदा हो रहा है, उसमें सदैव यह भय बना रहता है कि ऋतुराज कितने दिन के मेहमान हैं....बड़ी उम्दा बात कही आपने..स्वागत है !!

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

ऋतुराज वसंत के आगमन पर बड़ी भावों भरी बात.पढ़कर दिल खुश हो गया.चलिए इसे अब जी लेते हैं...

Akanksha Yadav ने कहा…

वाह रश्मि जी ! एक लम्बे समय बाद आयीं पर ऋतुराज वसंत के साथ आयीं, बहुत खूब.सक्रियता बनी रहे तो बेहतर है.

अभिषेक मिश्र ने कहा…

नीरज जी के वसंत से जुडाव के बारे में पता नहीं था. वसंत पर भावनाएं बांटने के लिए स्वागत मेरे ब्लॉग 'धरोहर' पर भी.

Bhanwar Singh ने कहा…

वसंत-पंचमी का आगाज़ सरस्वती जी की आराधना से आरम्भ होता है तो निराला जी की जयंती भी अब इस मस्तमौले वसंत के आगाज़ के साथ ही मनाये जानी लगी है. आज के सबसे प्रसिद्द गीतकार गोपाल दास 'नीरज'' जी की जन्म-तिथि भी इसी दौरान पड़ती है.
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बहुत सुन्दर लिखा आपने रश्मि जी. इस रुचिकर जानकारी के लिए धन्यवाद.

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

ऋतुराज वसंत का स्वागत है...सुन्दर पोस्ट.

www.dakbabu.blogspot.com ने कहा…

मात्र मानव ही नहीं पूरी प्रकृति वसंत के आगोश में समा जानी चाहती है. प्रेमी अपनी प्रेमिका को रिझाने लगता है, कवि की अभिव्यक्ति परवान चढ़ने लगती है
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Sundar Bhav-Sundar Rachna.

hem pandey ने कहा…

बचपन में सुने एक गीत के बोल याद आ रहे हैं -

नव बसंत आया फूल खिले फूल खिले
भँवरे ने गाया फूल खिले फूल खिले.

eklavya ने कहा…

वसंत का आगमन एक नयी उर्ज़ा अपने साथ लाता है. शिशिर की कपकापाती सर्दी से .थिल हुए शरीर मे नयी उमंगे पैदा होती है . चारो और प्रकृति का मनोहारी बिहंगम द्रश्य देखते ही बनता है. सच ही कहा है यदि मनब अब भी नही चेता तो शायद आने बाली पीढ़ी सिर्फ़ अपनी किताबो मैं ही वसंत का विबरन पढ़ सकेगी क्योंकि यथार्थ मैं इसे देख पाना महसूस करनाअसम्भब होगा. हम युवाओ को ही इसे बचाने के लिए आगे आना होगा ताकि हमारी भाबी पीढ़ी इसका सुख उठा सके. वसंत मैं ही आयातित प्रेम पर्व वेलिंटीन डे मनाया जाता है लेकिन मैं सोचता हूँ क्या हमारा वसंत पंचमी का शुभ दिन किसी प्रेम पर्व से कम है जिस दिन ईश्वर ने भी समय के मह्त्ब को ख़त्म कर दिया है इस दिन कोई भी शुभ मांगलिक कार्य बिना महूर्त के किया जा सकता है सोचो खुद परमपिता ने इस दिन को एक उपहार के रूप मे मनुष्य को दिया ताकि वो इस दिन बिना मुहूर्त के विवाह सुत्र मैं बँध सके. लेकिन हमारी पश्चिम की ओर ताकने बाली युवा पीढ़ी इसका महत्ब नही समझती वो तो बहुरास्त्रीय कंपनियो के दुष्प्रचार मैं भ्रमित.है भारत को भारत ना कह कर यंगीस्तान बनाने मे मशगूल है लस्सी के गिलास की जगह पेप्सी पीने मे ही शान समझ रही है. eklavya29@gmail.com

KK Yadav ने कहा…

वर्तमान परिवेश से जोड़कर वसंत पर प्रस्तुत अनुपम लेख..बधाई.

Amit Kumar Yadav ने कहा…

ऋतुराज वसंत का बड़ा सशक्त स्वागत किया है रश्मि जी ने...चलिए हम भी डूब जाएँ इस फिजा में .