मंगलवार, 3 मार्च 2009
२९ वर्ष की आयु में ही ग्राहम बेल ने किया टेलीफोन का अविष्कार
दुनिया में हर खोज के पीछे युवाओं की महती भूमिका रही है। नौजवानी का जज्बा लोगों की कल्पनाशीलता में जहाँ रंग भरता है, वहीँ कुछ कर दिखने का हौसला भी देता है। संचार क्रांति के इस दौर में टेलीफोन अपरिहार्य बन चुका है। जिसे देखो वही फ़ोन से चिपका हुआ है। पर बहुत कम लोगों को पता होगा कि दुनिया में संचार क्रांति लाने वाले इस क्रन्तिकारी टेलीफोन के आविष्कारक महान वैज्ञानिक अलेक्जेंडर ग्राहम बेल ने सिर्फ 29 साल की ही उम्र में ही 1876 में टेलीफोन की खोज कर ली थी। इसके एक साल बाद ही 1877 में उन्होंने बेल टेलीफोन कंपनी की स्थापना की। इसके बाद वह लगातार विभिन्न प्रकार की खोजों में लगे रहे। बेल टेलीफोन की खोज के बाद उसमें सुधार के लिए प्रयासरत रहे और 1915 में पहली बार टेलीफोन के जरिए हजारों किलोमीटर की दूरी से बात की। न्यूयार्क टाइम्स ने इस घटना को काफी प्रमुखता देते हुए इसका ब्यौरा प्रकाशित किया था। इसमें न्यूयार्क में बैठे बेल ने सैनफ्रांसिस्को में बैठे अपने सहयोगी वाटसन से बातचीत की थी। तीन मार्च 1847 को स्काटलैंड में पैदा हुए ग्राहम बेल शुरू से ही जिज्ञासु प्रवृति के थे और अपने विभिन्न प्रकार के विचारों को अमली जामा पहनाने के लिए लगे रहते थे। इसके अलावा उनकी विभिन्न खोजों पर उनके निजी अनुभवों का भी प्रभाव था। उदाहरण के तौर पर जब उनके नवजात पुत्र की सांस की समस्याओं के कारण मौत हो गई तो उन्होंने एक मेटल वैक्यूम जैकेट तैयार किया जिससे सांस लेने में आसानी होती थी। उनका यह उपकरण 1950 तक काफी लोकप्रिय रहा और बाद के दिनों में इसमें और सुधार किया गया। अपने आसपास कई लोगों को बोलने एवं सुनने में कठिनाई होते देख उन्होंने इस दिशा में भी अपना ध्यान दिया और सुनने की समस्या के आकलन के लिए आडियोमीटर की खोज की। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों के अलावा वैकल्पिक ऊर्जा और समुद्र के पानी से नमक हटाने की दिशा में भी काम किया।ग्राहम बेल की कई क्षेत्रों में एक साथ दिलचस्पी थी और वह काफी देर तक अध्ययनशील रहते थे। वह देर तक इनसाइक्लोपीडिया ब्रिटानिका पढ़ते थे। आज ग्राहम बेल के नाम 18 पेटेंट दर्ज हैं। इसके अलावा 12 पेटेंट उनके सहयोगियों के साथ दर्ज हैं। इन पेटेंटों में टेलीफोन, फोटोफोन, फोनोग्राफ और टेलीग्राफ शामिल हैं। उन्होंने आइसबर्ग का पता लगाने वाला एक उपकरण भी बनाया था, जिससे समुद्री यात्रा करने वाले नाविकों खासकर अत्यधिक ठंडे प्रदेशों में को विशेष मदद मिली। यही नहीं ग्राहम बेल ने चिकित्सा के क्षेत्र में भी काफी काम किया। सांस लेने के लिए उपयोगी उपकरण के साथ ही मूक बधिर लोगों की समस्या दूर करने के लिए काम किया। उन्होंने वैमानिकी के क्षेत्र में भी अपनी अमिट छाप छोड़ी है। मेटल डिटेक्टर जो आज आतंकवाद सहित अन्य प्रकार के अपराधों से लड़ने में कारगर उपकरण साबित हो रहा है, का अविष्कार भी ग्राहम बेल की ही देन है।ग्राहम बेल को अपने जीवन में कई पुरस्कार और सम्मान मिले। इन पुरस्कारों में से एक था फ्रांस का वोल्टा सम्मान जो उन्हें टेलीफोन की खोज के लिए दिया गया था। इस पुरस्कार की स्थापना नेपोलियन बोनापार्ट ने भौतिकीविद अलेस्रांद्रो वोल्टा के सम्मान में की थी। वोल्टा ने बैट्री को विकसित करने में अहम भूमिका निभाई थी। बेल ने इस पुरस्कार में मिली विशाल राशि का उपयोग वोल्टा फंड, वोल्टा लैबोरेट्रीज और वोल्टा ब्यूरो सहित अन्य संस्थाओं की स्थापना में की ताकि नई खोज के कार्य को गति मिल सके। इस महान वैज्ञानिक का निधन दो अगस्त 1922 को हो गया, पर अपनी महान खोजों से जनमानस में वे सदैव जिन्दा रहेंगें। आज उनकी जयंती पर हम उनका पुण्य-स्मरण करते हैं और उनके युवा जज्बे को सलाम करते हैं !!
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12 टिप्पणियां:
ग्राहम बेल का पूरा जीवन ही युवाओं के लिए प्रेरणास्रोत है.ऐसे व्यक्तित्व को याद करना सुखद लगा.
युवा जज्बे को मेरा सलाम.........
टेलीफ़ोन के आविष्कारक बेल के बारे में सुन्दर जानकारी हेतु धन्यवाद.
टेलीफोन के आविष्कारक महान वैज्ञानिक अलेक्जेंडर ग्राहम बेल ने सिर्फ 29 साल की ही उम्र में ही 1876 में टेलीफोन की खोज कर ली थी...wow..wonder !!
जज्बा हो तो मनुष्य कुछ भी कर सकता है, ग्राहम बेल इसके उदहारण हैं. जयंती पर नमन.
बेल ने इस पुरस्कार में मिली विशाल राशि का उपयोग वोल्टा फंड, वोल्टा लैबोरेट्रीज और वोल्टा ब्यूरो सहित अन्य संस्थाओं की स्थापना में की ताकि नई खोज के कार्य को गति मिल सके।
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ऐसे महान वैज्ञानिक की जयंती पर शत-शत नमन.
वाह! ग्राहम बेल का तो पूरा जीवन ही मनो आपने आप में अविष्कार हो. ऐसे अनूठे लोग ही समाज को राह दिखाते हैं. इस अनुपम प्रस्तुति के लिए रश्मि सिंह जी को साधुवाद.
युवा ब्लॉग सही दिशा में प्रवृत्त है....बधाई.
अपने आसपास कई लोगों को बोलने एवं सुनने में कठिनाई होते देख उन्होंने इस दिशा में भी अपना ध्यान दिया और सुनने की समस्या के आकलन के लिए आडियोमीटर की खोज की। उन्होंने विभिन्न क्षेत्रों के अलावा वैकल्पिक ऊर्जा और समुद्र के पानी से नमक हटाने की दिशा में भी काम किया।...Great Man..Salute.
बहुत खूब...अद्भुत जानकारी.पढ़कर मन खिल गया. रश्मि जी को धन्यवाद.
धन्यवाद डा. ब्रजेश जी, आपका प्रोत्साहन ही हमारी पूंजी है.
ग्राहम बेल जैसे वैज्ञानिक विरले ही पैदा होते हैं. उनके जज्बे को युवाओं से जोड़कर रश्मि सिंह जी ने अत्यंत सुन्दर कार्य किया है.
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