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बुधवार, 13 जनवरी 2010

युवा दिवस :सिर्फ मनाने को ??



विवेकानंद जी के जन्म दिन को पूरे देश में युवा दिवस के रूप में मनाया जाता है !पर सिर्फ नाम को!अब देखिये न हॉकी के युवा खिलाडी अपने पैसे को लेकर हड़ताल कर रहे है और सरकार उन्हें निकलने की धमकी दे रही है!देश के राष्ट्रीय खेल 'हॉकी" को शीर्ष पर पहुँचाने वाले खिलाडियों की राष्ट्र भावना पर सवाल खड़े किये जा रहें है!हमें तो इन युवा खिलाडियों पर गर्व होना चाहिए जिन्होंने क्रिकेट के इस युग में हॉकी को चुना! क्रिकेट में बरस रहा धन हर किसी को आकर्षित करता है,पर ये युवा उसी को चुनते है!तो क्या हमारा,सरकार का या किसी का भी कोई कर्त्तव्य नहीं की हम इनका समर्थन करें?ये आर्थिक भी हो सकता है और नैतिक भी!यदि देश में हॉकी को बचाना है तो कुछ करना ही होगा! विवेकानंद जयंती पर हमें संकल्प लेना चाहिए की हम हॉकी को,राष्ट्रीय खेल को बचने का दिल से प्रयास करेंगे..!
                             हॉकी को यदि बचाना है तो हमें स्कूल स्तर पर ही शुरुआत करनी होगी!इसके लिए क्रिकेट की तरह ही खेल आयोजन करने चाहिए,जिसमे विभिन्न देशों की टीमों को बुलाया जाये!हॉकी से अच्छे प्रायोजकों को भी जोड़ना होगा ताकि धन की कमी ना आये!युवाओं को भी क्रिकेट का आकर्षण छोड़ हॉकी को अपनाना चाहिए!तभी हॉकी बचेगी...

4 टिप्‍पणियां:

मनोज कुमार ने कहा…

बहुत अच्छा और सामयिक आलेख।

Tej ने कहा…

बहुत अच्छा

Bhanwar Singh ने कहा…

युवाओं को लोग सिर्फ वोट-बैंक समझते हैं....भावी नेतृतव नहीं.

Shyama ने कहा…

देश के राष्ट्रीय खेल 'हॉकी" को शीर्ष पर पहुँचाने वाले खिलाडियों की राष्ट्र भावना पर सवाल खड़े किये जा रहें है!....Tabhi to koi khiladi nahin banana chahta.