बचपन का जमाना होता था
खुशियों का खजाना होता था,
चाहत चाँद को पाने की
दिल तितली का दीवाना होता था,
खबर न थी कुछ सुबह की
न शामों का ठिकाना होता था,
थक-हार के आना स्कूल से
पर खेलने भी जाना होता था,
दादी की कहानी होती थीं
परियों का फसाना होता था,
बारिश में कागज की कसती थी
हर मौसम सुहाना होता था,
हर खेल में साथी होते थे
हर रिश्ता निभाना होता था,
पापा की वो डांटें गलती पर
माँ का मनाना होता था,
कैरियर की टेंशन न होती थी
ना ऑफिस को जाना होता था,
रोने की वजह ना होती थी
ना हंसने का बहाना होता था,
अब नहीं रही वो जिन्दगी
जैसा बचपन का जमाना होता था
गुरुवार, 28 अक्तूबर 2010
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7 टिप्पणियां:
अब नहीं रही वो जिन्दगी
जैसा बचपन का जमाना होता था
... बढ़िया ...
सच है,
वह बचपन,
बड़ा सुहाना होता था।
हाँ..... बचपन अच्छा होता है... पर कुछ प्रोब्लेम्स भी होते हैं.... आप बड़े होकर भूल गए हैं....:(
बालमन बड़ा होने के बाद भी कहीं न कहीं अपने बचपने के इर्द गिर्द रहता ज़रूर है| भाई अमित कुमार अपने इस बचपने को बहुत ही सहेज के रखना| सब कुछ पा लोगे इस दुनिया में सिवाय इस निश्चल बचपने के|
दादी की कहानी होती थीं
परियों का फसाना होता था,
बारिश में कागज की कसती थी
हर मौसम सुहाना होता था,
बढ़िया है...
बचपन का जमाना होता था
खुशियों का खजाना होता था,
चाहत चाँद को पाने की
दिल तितली का दीवाना होता था,
...Bahut sahi kaha..badhai.
दीपावली का ये पावन त्यौहार,
जीवन में लाए खुशियां अपार।
लक्ष्मी जी विराजें आपके द्वार,
शुभकामनाएं हमारी करें स्वीकार।।
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