प्रकृति ने हमें केवल प्रेम के लिए यहाँ भेजा है. इसे किसी दायरे में नहीं बाधा जा सकता है. बस इसे सही तरीके से परिभाषित करने की आवश्यकता है. हम २४ घंटे केवल प्रेम करना चाहते हैं, ज्यादा से ज्यादा सोना, अच्छा खाना, सुन्दरता को देखना और उसे अपना बनाना, दोस्तों के साथ रहना, परिवार का लुफ्त उठाना, खेलना और अच्छा पहनना और बहुत कुछ ...... लेकिन हम केवल दिन के कुछ सीमित हिस्से को ही प्रेम क्यों समझते हैं? जब हम हर समय प्रेम ही करना चाहते हैं तो फिर प्रकृति को क्यों नाराज करना !!
शनिवार, 14 फ़रवरी 2009
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17 टिप्पणियां:
प्यार भरे इस सुन्दर दिवस की शुभकामनायें !!
पतंगा बार-बार जलता है
दिये के पास जाकर
फिर भी वो जाता है
क्योंकि प्यार
मर-मिटना भी सिखाता है !
.....मदनोत्सव की इस सुखद बेला पर शुभकामनायें !!
'शब्द सृजन की ओर' पर मेरी कविता "प्रेम" पर गौर फरमाइयेगा !!
प्रेम एक सुखद अनुभूति है. वासना से परे यह पवित्रतता का एहसास है. इस पवित्र दिन को समय की सीमाओं में बांधना कहाँ तक उचित है ??
Khubsurat bhav .
वसंत ऋतु में पधारे मदनोत्सव पर्व का स्वागत करें. ''वैलेंटाइन डे'' की सुखद शुभकामनायें !!सुखद इसलिए कि कोई 'सेना' आपके प्यार में खलल न डाल दे !!
Bahut sahi likha ki प्रकृति ने हमें केवल प्रेम के लिए यहाँ भेजा है. इसे किसी दायरे में नहीं बाधा जा सकता है. बस इसे सही तरीके से परिभाषित करने की आवश्यकता है.
प्यार के इस मदनोत्सव पर याद आता है हसरत मोहानी का शेर-
लिक्खा था अपने हाथों से जो तुमने एक बार।
अब तक हमारे पास है वो यादगार खत ।।
प्रेम पर कुछ कमेन्ट करने की बजाय यही कहूँगा कि यह एहसास करने वाली भावना है, सिर्फ महसूस की जा सकती है.
युवा परिवार को ''वैलेंटाइन डे'' की शुभकामनायें !!
वेलेनटाइन डे पर लाजवाब और भावपूर्ण प्रस्तुति.
कारण जो भी हो,क्या प्यार को किसी दिन के दायरे में बाँधना
संभव है? प्यार तो हर दिन जीता है,
हाँ, एक दिन निर्धारित है तो बिना प्यार के भी विश कर देना है...........
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PREM KI KOI BHASHA NAHIn HOTI.
सचमुच हमें सिर्फ प्रेम करना है.
यही आनंद है ओर आनंद का दूसरा नाम ईश्वर भी है. प्रेम में ईश्वर समाया हुआ है.
उसकी पूजा करना है. यही भक्ति है. साधुवाद.
''वैलेंटाइन डे'' की सुखद शुभकामनायें !!
हिन्दी साहित्य .....प्रयोग की दृष्टि से
प्रेम एक सुखद अनुभूति है जिसे शब्दो मैं वयान नही किया जा सकता है जिसे होता है वोही इसे जान सकता है. लेकिन आजकल समाचार पत्रों मे प्रेम का एक दूसरा पहलू भी पढ़ने मे आ रहा है जो की बहुत ही दुखद है लोग खुद तो बरवाद होते ही है अपने प्रेमी या प्रेमिका को भी बरवाद कर देते है प्यार मैं त्याग को भावना ना जाने कहाँ चली प्यार भी फिल्मी हो है सिर्फ़ दिखावे का. प्यार को प्यार ही रहने दो इसे बदनाम ना करो.
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