सुनो, खुद को सेकुलर कहने वालों !
कुकुरमुत्ते कभी सड़े खून पर नहीं उगते
पेड़ लाश लटकने के लिए पैदा नहीं होते
लोहा तलवार बनने के लिए नहीं होता
गुजरात हिंसा के लिए बना नहीं
मगर, क्या एक तरफा नजरिया नहीं तुम्हारा
जो घृणा में जन्मा उसने घृणा भोगा
उसमे प्रेम कहाँ सेकुलरों ?
एकतरफा नजरिया इसलिए कि
क्या दंगों में हिन्दू या मुस्लमान मारे जाते हैं ?
नहीं, दंगों में इंसान मारे जाते हैं.
क्या दंगों में भगवा ही लहराता हैं ?
क्यूँ तुम्हे हरा रंग नजर नही आता है ?
अपनी सेकुलर तहजीब का हवाला देने वाले देश में
मकबूल के नाम पर आर्ट गैलरी बनाया जाता है
पर पूछता हूँ , सलमान रुश्दी और तसलीमा को
क्यूँ गरियाया जाता है ?
है कोई जवाब तो बताना ................!!!
जयराम चौधरी , जामिया मिल्लिया इस्लामिया.M:09210907050
बुधवार, 10 जून 2009
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5 टिप्पणियां:
वाह..बहुत खूब...जयराम जी ने तो मानो आइना सामने रख दिया.
वाह..बहुत खूब...जयराम जी ने तो मानो आइना सामने रख दिया.
Nice Poem...Its Appealing.
bilkul sach dango me to insaan hi mare jate hai...lekin in netaon ka kya karen?
सुन्दर। शुभकामनाएँ।
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