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रविवार, 23 मई 2010

दादी का प्यार

दादी मेरी - दादी मेरी,
बहुत प्यार करती थी हमको!
रोज सुबह-सुबह जगाकर,
सैर कराती थी हमको !!

कभी नहीं डाटती हमको,
खूब प्यार जताती थी !
घर में सब लोगों को,
प्यार से समझाती थीं !!

विषम परिस्थितियों में भी,
हिम्मत बहुत बढाती थीं !
कभी न हिम्मत हारो तुम,
ऐसा पाठ पढ़ाती थीं !!

(समर्पित दादी माँ)

10 टिप्‍पणियां:

KK Yadav ने कहा…

दादी माँ को समर्पित बड़ी प्यारी कविता..शरद को बधाई.

Mrityunjay Kumar Rai ने कहा…

कविता पढ़कर दादी की याद आ गयी , जो अब मेरे बीच नहीं है

http://madhavrai.blogspot.com/

http://qsba.blogspot.com/

Urmi ने कहा…

बहुत ख़ूबसूरत और भावपूर्ण रचना लिखा है आपने जो काबिले तारीफ़ है! आपकी रचना पढ़कर मुझे अपनी दादी की याद आ गयी!
मेरे ब्लोगों पर आपका स्वागत है!

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

विषम परिस्थितियों में भी,
हिम्मत बहुत बढाती थीं !
कभी न हिम्मत हारो तुम,
ऐसा पाठ पढ़ाती थीं !!

...दादी की याद में बड़ी सुन्दर कविता..शरद जी को शुभकामनायें.

raghav ने कहा…

sunder kavita

Unknown ने कहा…

दादी के लिए मीठी बात..साधुवाद.

Akshitaa (Pakhi) ने कहा…

अले वाह, शरद अंकल ने तो बड़ी सुन्दर-सुन्दर कविता लिखी दादी अम्मा पर..बढ़िया है.

Bhanwar Singh ने कहा…

सुन्दर बात लिखी..मनभावन.

S R Bharti ने कहा…

गुनगुनाने लायक मनभावन गीत...बधाई.

Shyama ने कहा…

बढ़िया है. मैं इसे अपने बेटे को सुनाऊंगा.