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बुधवार, 3 नवंबर 2010

लो देख लो मेरी दुनिया

घर लौटने पर

छोटू ने सुनाया

ताई के फोन

आने की बात बताया

भैया बहुत बीमार है

तुरंत कानपुर है बुलाया

मैंने सोचा

भैया के चार बच्चे

सभी व्यवस्थित

लेकर पद अच्छे

ऐसे में मैं कहाँ से भाया

जेहन में सारा

अतीत नजर आया

की किस तरह भैया ने बच्चो के

शिक्षा दीक्षा की दे दुहाई

अम्मा बापू परिवार व

गाँव को ठुकराया

अपने पारिवारिक सामाजिक

जिम्मेदारियों से मुख मोड़ कर

कानपुर में एक आलीशान

मकान बनवाया

घर और गाँव को एकदम

से ही भुलाया

मुझे याद है बापू की तेरहवी के लिए भी

बड़ी मिन्नत के बाद समय निकाला

खैर बिना रुके शाम के ट्रेन से ही

मैंने कानपुर का किया रुख

वहां काप गया

देखकर भैया भाभी का दुःख

रुग्ण जर्जर और अशक्त भैया की

एक लम्बे अंतराल के बाद

मुझे देख बाछे खिल गयी

मानो जिसकी हो प्रतीक्षा

वो चीज मिल गयी

मै भी मूर्तिवत भैया के गले लग गया

अविरल आसुओं की धार

कोरो से बह चली

मैं यंत्रवत सोचता रहा

हैरान होकर कभी भैया

कभी भाभी को देखता रहा

भाभी को आंचल से अपने आसुओं को

पोछने की असफल चेष्टा को

अनदेखा करता रहा

भैया इ क्या हाल बना रखा है

कहते जब मैंने उनकी गोद में

अपना सर रखा

बापू को भैया के रूप में

मानो जीवित देखा

स्नेह से जब सर में मेरे वो उगलिया फिराने लगे

उनकी गोद में अमरुद और आम के

पेड़ों का बचपन देखा

सयंत होकर मैंने पूछा

विनोद अंकुर और मुन्ना हैं कहाँ

अभी तक आई नहीं क्यों मुनिया

भैया ने दो तिन छोटे पार्सल

और कुछ चिट्ठियां मेरी ओर बढ़ाते हुए कहा

लो देख लो मेरी दुनिया

कापते हाथो से मै एक एक पत्र पढने लगा

विनोद ने लिखा

कार्यालयी कार्य से बाहर जा रहा हूँ

आपके बताये कर्मयोग के रस्ते पर चल रहा हूँ

कुछ रुपये भेज रहा हूँ

साथ में आपके स्वस्थ होने की कामना कर रहा हूँ

अंकुर ने भी अपनी असमर्थता कुछ इस तरह सुनाई

नेहा के परीक्षा की बात बताई

आगे लिखा पापा हम आ नहीं सकते

आपको है गुड विशेश भेजते

आगे का हाल भेजिएगा

कोई जरूरत हो तो निसंकोच कहियेगा

मुन्ना की व्यथा भी इनसे अलग नहीं थी

हम तो आने के लिए रहे ही थे सोच

अचानक मंजू के पैर में आ गयी मोच

कुछ रुपये भेज रहा हूँ

अंकुर को फोन कर रहा हूँ

उम्मीद है आप जल्द ठीक हो जायेगे

हम पुनः अच्छी खबर पाएंगे

मुनिया ने अपने पत्र में

अपने पति के ट्रान्सफर का दे हवाला

आने से ही कर लिया किनारा

मैं अपने को सँभालने का

करने लगा असफल प्रयास

धुम से बिस्तर पर बैठ

सोचने लगा कैसी होती है आस

सारा संसार मुझे घूमता नजर आया

लगा इतना खोने के बाद

भैया ने क्या पाया

भरी आँखों से भैया ने कहा

परिवार क्या होता है ये आज मैं जान पाया

पर सच जो मैंने बोया वही तो है पाया

भाभी ने कहा लल्ला

क्या करे बेटों की भी है

अपनी अपनी मज़बूरी

वर्ना है ही क्या ये दूरी

एक ओर जहा भैया के अन्दर

पश्चाताप के आंसू पा रहा

वही भाभी को आज भी

जहा का तहा पा रहा

मन अजीब अंतर्द्वान्दा में फस गया

जमाना आज की दस्ता कह गया

तभी भैया ने रखा मेरे सर पर अपना हाथ

निरीह नजरो से कहा

निर्मेश चाहिए तुम्हारा साथ

मुझे अपने वर्तमान पर

बेहद तरस आया

तुलना करने पर

अपने अतीत को बेहतर पाया

10 टिप्‍पणियां:

KK Yadav ने कहा…

The setting sun asked, ''who will take care of the night?'' A small burning lamp said, '' I shall try my best." May, we be that innocent earthen lamp !, to say Tamso Ma Jyotirgamaya bcoz however deep may be darkness it can not put out the light of a humble candle...wishing u all a Very-Very Happy Diwali !!

KK Yadav ने कहा…

बहुत सुन्दर लिखा निर्मेश जी...बधाई.

BrijmohanShrivastava ने कहा…

आप को सपरिवार दीपावली मंगलमय एवं शुभ हो!
मैं आपके -शारीरिक स्वास्थ्य तथा खुशहाली की कामना करता हूँ

Unknown ने कहा…

संवेदनशील भावों से युक्त कविता..अच्छी नब्ज पकड़ी निर्मेश भाई ने...बधाई.

Unknown ने कहा…

दीपावली का ये पावन त्‍यौहार,
जीवन में लाए खुशियां अपार।
लक्ष्‍मी जी विराजें आपके द्वार,
शुभकामनाएं हमारी करें स्‍वीकार।।

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

Achha likha apne.

Amit Kumar Yadav ने कहा…

***दीपवाली दीपों का त्यौहार है . दीप की "लौ" हमेशा ऊपर की ओर ही उठती है, हम कर्म और धर्म में ऊपर ही उठें और अन्यों को भी उठायें . "लौ " अपने को जला कर दूसरों को प्रकाश देती है, हमें भी निस्वार्थ होकर दूसरों के जीवन को प्रेमोल्लास से प्रकाशित करना है . प्रेमोल्लास की दीप मालाएं सर्वत्र एक साथ जल उठने से हमेशा हमेशा के लिए अन्धकार हमसे और हमारे समाज से दूर हो ऐसी शुभकामनाओं के साथ दीपावली पर्व पर मंगलकामनाएं ***

Shaivalika Joshi ने कहा…

sachchayi likhi hai
aaj kal ke samaaj kii
really it happens now in India........

Shaivalika Joshi ने कहा…

sachchayi likhi hai
aaj kal ke samaaj kii
really it happens now in India........

​अवनीश सिंह चौहान / Abnish Singh Chauhan ने कहा…

मान्यवर
नमस्कार
अच्छी रचना
मेरे बधाई स्वीकारें

साभार
अवनीश सिंह चौहान
पूर्वाभास http://poorvabhas.blogspot.com/