(एक दैनिक पत्र के ऑन-लाइन संसकरण में प्रकाशित इस वैचारिक-समाचार को पढ़ें और सोचें कि क्या ऐसे लोग ही इस देश का उद्धार कर सकेंगें ?)
शुरुआत करते हैं अक्षय प्रताप सिंह से। एक राजघराने से ताल्लुक रखते हैं। प्रतापगढ़ के सांसद भी रहे हैं और बुधवार को वह राज्य के उच्च सदन के लिए निर्वाचित हुए हैं। कई महंगी कारें उनके पास हैं, जिसमें पजेरो, बैलेनो, टाटा सफारी, स्विफ्ट शामिल हैं। हाथ में वह जो अंगूठी और गले में जो सोने की चेन पहनते हैं, उसकी कीमत भी पौने तीन लाख रुपये है। पत्नी के जेवर और उनके नाम तमाम-दूसरी जमीन जायदाद की कीमत जोड़ी जाए तो वह करोड़पतियों की सूची में आते हैं। उनकी हैसियत जानकर लोगों को उतना आश्चर्य नहीं होगा, जितना यह जानकार कि वह सिर्फ कक्षा नौ पास हैं। बस्ती-सिद्धार्थनगर से जीते मनीष जायसवाल को आप अरबपति मान सकते हैं। वह एक बड़े व्यवसाई हैं। जिस रोज उन्होंने नामांकन दाखिल किया था, उनके पास कैश इन हैण्ड 50 लाख रुपये था। पत्नी के पास 30 लाख रुपये। पत्नी के पास जेवर ही एक करोड़ रुपये का है। लगभग 30 करोड़ रुपये के तो उनके पास शेयर हैं। बस्ती में दो बड़े होटल हैं, जिनकी कीमत एक करोड़ रुपये है। लखनऊ में 25 लाख रुपये की कीमत का एक प्लाट है। 30 लाख रुपये कीमत का एक फ्लैट है। बस्ती में 30 लाख रुपये की जमीन है। दस लाख रुपये का एक मकान है। एलआईसी पालिसी, एफडी, पांच-पांच महंगी गाड़िया। अब आप उनकी हैसियत का अंदाजा खुद लगा सकते हैं लेकिन इतने बड़े व्यवसाई की शैक्षिक योग्यता सिर्फ हाईस्कूल है।
वाराणसी से चुनाव जीती हैं अन्नपूर्णा सिंह। कक्षा नौ पास हैं। उनकी शैक्षिक योग्यता देखकर आप कह सकते हैं कि वह बहुत घरेलू महिला होंगी लेकिन दस्तावेज बताते हैं कि वह शेयर में भी पैसे लगाती हैं और सम्पत्तियों की खरीद-फरोख्त में भी। यह भी बताते चलें कि वह डान बृजेश सिंह की पत्नी हैं। छह लाख रुपये उनके पास कैश इन हैण्ड है। बैंक में उनके नाम से दस लाख रुपये के आस पास जमा है। जेवर, शेयर और उनके नाम जमीन-जायदाद है, उसकी कीमत उन्हें करोड़पति की श्रेणी में रखती है। अब जैसे मुबंई, वाराणसी और इलाहाबाद में उनके तीन फ्लैट ही हैं। मुंबई वाला फ्लैट 41 लाख का है। वाराणसी वाले की कीमत 20 लाख है तो इलाहाबाद वाले की 32 लाख। दो करोड़ रुपये की उनके पास कृषि योग्य भूमि है। 35 लाख के उनके पास जेवर हैं और 50 लाख रुपये की एलआईसी स्कीम चल रही है।
बांदा-हमीरपुर से चुनाव जीती हुस्ना सिद्दीकी प्रदेश सरकार के लोक निर्माण मंत्री नसीमुद्दीन सिद्दीकी की पत्नी हैं। उनके बैंक एकाउंट में ही लगभग साठ लाख रुपये जमा हैं। उनके पास जो सोने के जेवर हैं, उनकी कीमत भी 64 लाख रुपये के करीब है। 19 किलो तो चांदी ही उनके पास है। 20 लाख रुपये एनएससी वगैरह में लगे हैं। तमाम दूसरी सम्पत्तियों की कीमत उन्हें कई करोड़ का मालिक बनाती है लेकिन वह सिर्फ आठवीं तक पढ़ी हैं। मुजफ्फरनगर से चुनाव जीते मुहम्मद इकबाल के बैंक एकाउंट में सवा करोड़ रुपये से ज्यादा जमा हैं। 12 लाख रुपये तो कैश इन हैण्ड हैं। जिस गाड़ी से चलते हैं, उसकी कीमत 30 लाख रुपये से ऊपर की है। उनके देनदार एक करोड़ 30 लाख रुपये के हैं। 90 लाख रुपये की तो उनके पास गैर कृषि योग्य भूमि और 80 लाख रुपये की कृषि योग्य भूमि है। 65 लाख रुपये की कीमत के उनके मकान और दुकान हैं। 26 लाख रुपये शेयर में लगे हैं और 28 लाख रुपये की एलआईसी पालिसी है। इतने पैसे वाले मुहम्मद इकबाल की शैक्षिक योग्यता सिर्फ जूनियर हाईस्कूल है।
कानपुर-फतेहपुर से जीते अशोक कटियार भी करोड़पति हैं। फोर्ड, इनोवा, वर्ना जैसी महंगी गाड़िया उनके पास हैं। लखनऊ, देहरादून सहित कई शहरों में उनके नाम सम्पत्ति है। लखनऊ में गोमतीनगर में जो प्लाट है, उसकी कीमत 31 लाख रुपये है लेकिन अशोक कटियार की शैक्षिक योग्यता सिर्फ कक्षा आठ है। मुरादाबाद-बिजनौर सीट से चुनाव जीतने वाले परमेश्वर लाल का भी कुछ ऐसा ही हाल है। वह सिर्फ कक्षा पांच पास हैं।
मथुरा-एटा-मैनपुरी से चुनाव जीतने वाले लेखराज, उनकी पत्नी और पुत्रों के नाम सम्पत्ति की कीमत को अगर जोड़ा जाए तो वह करोड़पति हैं लेकिन सिर्फ हाई स्कूल पास हैं। बहराइच से चुनाव जीतने वाले माधुरी वर्मा सिर्फ साक्षर हैं। यानी कि वह सिर्फ वह अपने हस्ताक्षर कर सकती हैं। उनके पति बहराइच से पूर्व विधायक हैं। माधुरी वर्मा के नाम लखनऊ में एक प्लाट है, जिसकी कीमत सात लाख रुपये है। नानपारा में उनके नाम जो खेत हैं, उसकी कीमत छह लाख रुपये हैं। अलीगढ़ से चुनाव जीतने वाले मुकुल उपाध्याय काबीना मंत्री रामवीर उपाध्याय के भाई हैं। वह सिर्फ हाईस्कूल तक पढ़े हैं। आजमगढ़ से चुनाव जीते कैलाश भी करोड़पति हैं लेकिन वह भी सिर्फ हाईस्कूल पास हैं।
शुक्रवार, 15 जनवरी 2010
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5 टिप्पणियां:
Yah majak hai ya janta ko saja hai ??
ye janta ka nahin khud ka uddar karne rajniti me aaye hai......
भारत के लोकतंत्र और जनप्रतिनिधि की जो भी स्थिति है इसमें आश्चर्य कैसा...
ज्यादातर शिक्षित स्वयं को राजनीति में आने से रोकते हैं... और जो आते हैं अधिकाँश उनमे से भी स्वयं उद्धार में ही लिप्त रहते हैं...
Behad satik vishleshan.
कोई कमेन्ट नहीं...खुद ही लोग समझदार हैं.
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