शुक्रवार, 5 अगस्त 2011
आपकी राय हमारी सोच पर सादर आमंत्रित है
मारो साले को
और मारो की तेज आवाज सुन
मै घर से बाहर आया
वहां के हालात देख घबराया
एक अधेड़ व्यक्ति को सब
मिल कर बुरी तरह पीट रहे थे
आपस में बहादुरी की मिसाल
देते नहीं थक रहे थे
जो भी कोई कहीं से आता
तबियत से अपना हाथ साफ कर जाता
घेलुए में माँ बहन कि गाली
सौगात में दे जाता
मैंने बीच बचाव कर उसे
किसी तरह बचाया
उसे निकट के कुएं की
जगत पर लाया
हाथ मुंह धुलाकर घाओं को
डीटल से साफ कर
उस पर मलहम लगाया
गुड के साथ पानी पिलाकर
थोडा शांत होने पर पूछा
क्यों करते हो आखिर ऐसा काम
मै अगर समय से न आता तो
हो गया होता तुम्हारा काम तमाम
मेरी अपनत्व भरी बातें सुन
ऑंखें उसकी कृज्ञता से भरभरा गयी
चाहकर भी गले से उसके
आवाज नहीं निकल पा रही थी
एक अजीब नजरों से वह
मेरी तरफ देख रहा था
शायद मेरे होने के बारे में
वह सोच रहा था
कि क्या आज भी ऐसे लोग है
जो दूसरे के मर्म को पहचान लेते है
उसके दर्द को अपना लेते है
किसी तरह प्रयास कर वह बोला
भैया क्या करें चार दिनन से
घर मा चूल्हा नहीं जला है
पिछले कई दिनन के माफिक
आज भी हम काम से
खाली हाथ लौटा है
ऊपर से गुडिया दू दिनन से
बुखार मा ताप रही है
घर मा खाने को जहर भी नहीं है
जीवन बचाने का कोई
रास्ता नहीं सूझ रहा था
ऐसा सोच पहली बार बड़ी हिम्मत कर
ई साईकिल चोरी के लिए निकला
और पहली बार ही पकड़ा गया
सर मुड़ते ही ओले पड़े
जम कर लात और घूंसे पड़े
भैया आपका बहुत बहुत धन्यवाद्
अब घर चलते है
सब मिलकर सामूहिक
आत्महत्या ही कर लेते है
रोज घुट घुट कर मरने से अच्छा है
एक बार में इस सफ़र को
समाप्त कर देते है
सन्न राह गया मै
जब उसने अपना आखिरी विकल्प सुनाया
मैंने उसे फिर प्रेम से
अपने पास बिठाया
पुनः तबियत से उसे समझाया
फिर चोरी न करने कि शर्त पर
कच्चे अनाज के कुछ थैले के साथ
कुछ रुपये और दवा देकर
बाद में कुछ काम अवश्य दिलाने के
नाम पर मिलने की राय देकर
उसे तत्काल विदा किया
उसकी वेदना देख मन
एकदम से भर गया
उपरांत अपने बैठक में बैठ
उसे दूर तक जाते देख रहा था
मैंने सही या गलत किया
यही सोच रहा था
एकबारगी मुझे लगा
कि कहीं वह पेशेवर चोर होकर
मेरी भावनाओं का शोषण तो नहीं कर रहा था
या कि सचमुच जरूरतमंद था
इस ब्लाग पर सादर आप
इस मुद्दे पर अपनी
सोच के साथ निमंत्रित है
आपकी स्वस्थ्य सकारात्मक राय
हमारी सोच पर
सादर आमंत्रित है
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3 टिप्पणियां:
Apne to apni taraf se bilkul sahi kiya hai , baki ka fesla upar wale ki adalat par chor do......
Jai hind jai bhaarat
यह भी एक कन्फ्यूजन ही है...
यह भी एक कन्फ्यूजन ही है...
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