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सोमवार, 6 सितंबर 2010

ईश्वर कहाँ मिलेगा... (कविता : एस. आर. भारती)

देखा है लोगो को
मन्दिर, मस्जिद ,गुरूद्वारे एवं गिरजाघर में
"ईश्वर"को खोजते हुए,
मन्नतों के लिए दर-दर भटकते हुए
वे जानते हैं कि "ईश्वर" वहाँ नहीं मिलेगा
’फिर व्यर्थ क्यों खोजते हैं तुष्टि के लिए’
एक यक्ष प्रश्न ने सिर उठाया
फिर ”ईश्वर“ कहाँ मिलेगा ’
सोचते-सोचते चिन्तन आगोश में खो गया
अचानक अन्र्तमन के पट पर
चलचित्र की तरह कुछ पात्र उभरे
मन ने माना कि ये ही ”ईश्वर“ के रूप हैं
किसान ,माँ ,डाक्टर ,
गिरते को उठाने वाला ,
मरते को बचाने वाला ,
सबकी प्यास बुझाने वाला ,
सबकी भूख मिटाने वाला ,
भटके को राह दिखाने वाला ,
बिछडे़ को मिलवाने वाला ,
गुणगान योग्य है ऐसा गुणवान
यही सुपात्र की नजर में ”भगवान“ है ।

6 टिप्‍पणियां:

Anjana Dayal de Prewitt (Gudia) ने कहा…

behad khoobsurat!!! :-)

Padm Singh ने कहा…

अति सुन्दर ..

RAJNISH PARIHAR ने कहा…

बहुत ही अच्छी रचना.....शुभ कामनाएं !! !!!!

KK Yadav ने कहा…

भारती जी की कविता पढ़कर तो मानो ईश्वर की खोज पूरी हो गई...शानदार प्रस्तुति..बधाई.

raghav ने कहा…

beautiful

प्रवीण पाण्डेय ने कहा…

सुपात्रों में ईश्वर का वास है।