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मंगलवार, 6 जनवरी 2009

धर्म

एक दिन आशु का भी स्कूल में दाखिला लेने का समय आ गया। उसकी पाँच वर्षीय बड़ी बहन पूजा स्वयं स्कूल में दाखिले के लिए फार्म ले आई। आशु उत्साह के साथ फार्म भरने की जिद करने लगा, उसकी जिद के कारण मुझे अपना आफिस का कार्य रोक कर फार्म को शीघ्र भरना पड़ा। फार्म के कालम भरते हुए मैं उससे प्रश्न भी करने लगा- तुम्हारा नाम....?, आशु.....। अपना पूरा नाम बताओ.....? आशुतोष शर्मा.......। तुम्हारे पापा क्या करते हैं.......? आफिस में काम करते हैं......। किस क्लास में नाम लिखेगा.....? के।जी. में ......। आशु के सही उत्तर सुनकर किचन में खाना बनाते हुए पत्नी को भी हँसी आ रही थी। मैंने दाखिला के फार्म के कालम के अनुसार आगे प्रश्न किया। तुम्हारा धर्म....? लेकिन इसका उत्तर आशु नहीं दे सका। मैंने प्रश्न को पुनः दोहराया- तुम्हारा धर्म क्या है? हमें नहीं मालूम, आप बताइये। शायद आशु को अपने धर्म की जानकारी किसी से नहीं मिल सकी थी। इसी कारण वह मेरी ओर इस प्रश्न के उत्तर की जानकारी के लिए देख रहा था। मैं सोचने लगा- आज तो ये लोग अपने धर्म के लिए मरने तक को तैयार हो जाते हैं। जिसकी जानकारी अपने माता पिता द्वारा ही सर्वप्रथम सबको मिलती है। यही विश्वास जीवन भर अपना धर्म का ज्ञान करवाता है। आज के राजनेताओं ने तो धर्म को राजनीति में पूरी तरह जोड़ दिया है जिसका फायदा चुनाव के समय पूरी तरह मिलता है। मैंने बिना कोई उत्तर दिये धर्म के कालम के सामने ‘हिन्दू‘ शब्द लिख दिया, लेकिन आशु अपने प्रश्न के उत्तर के लिए मेरी ओर लगातार देख रहा था।
अनुराग,13/152 डी (5) परमट, कानपुर (उ0प्र0)

11 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

बेहद प्रासंगिक और स्तरीय लघु कथा.

Amit Kumar Yadav ने कहा…

Anurag ji, welcome on this blog.

www.dakbabu.blogspot.com ने कहा…

एक सच्ची लघुकथा.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

इस लघुकथा के बहाने अनुराग जी ने बड़े सार्थक सवाल उठाये हैं. इन पर गौर करने की जरुरत है.

Akanksha Yadav ने कहा…

आज के राजनेताओं ने तो धर्म को राजनीति में पूरी तरह जोड़ दिया है जिसका फायदा चुनाव के समय पूरी तरह मिलता है...सही नब्ज़ पकड़ी आपने.

KK Yadav ने कहा…

एक लम्बे समय बाद मन को छूने वाली लघु कथा पढ़ी..बधाई.

Dr. Brajesh Swaroop ने कहा…

BAHUT KHUB.

Bhanwar Singh ने कहा…

Anurag ji ko is laghu-katha ke liye badhai.

बेनामी ने कहा…

Aj ke rajneta to bazigari karte hain, dharm ki ad men.

Smart Indian ने कहा…

आज की सच्चाई को बयान करती हुई लघुकथा, बधाई!

adil farsi ने कहा…

धर्म ..अच्छा कटाक्ष है ..हम बेडियो में कब तक जकडे रहेंगें...बधाई लघुकथा के लिऐ