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गुरुवार, 8 जनवरी 2009

बीती कहानी बंद करो........



इति यानि बीती........

हास यानि कहानी...

बीती कहानी बंद करो!

नहीं जानना -वंदे मातरम् की लहर के बारे में,

नहीं सुनना -'साबरमती के संत तूने कर दिया कमाल....

'नहीं सुनना-'फूलों की सेज छोड़ के दौड़े जवाहरलाल....

'नहीं जानना-ईस्ट इंडिया कंपनी कब आई!

कब अंग्रेजों ने हमें गुलाम बनाया!

कहना है तो कहो-आज कौन आतंक बनकर आया है!

और अब कौन गाँधी है?कौन नेहरू?कौन भगत सिंह ?

वंदे मातरम् की गूंजकिनकी रगों में आज है?

अरे यहाँ तो अपने घर सेकोई किसी को देश की खातिर नहीं भेजता

( गिने-चुनों को छोड़कर )

जो भेजते हैंउनसे कहते हैं,'एक बेटा-क्यूँ भेज दिया?

'क्या सोच है!........ऐसे में किसकी राह देख रहे हैं देश के लिए?

देश?जहाँ से विदेश जाने की होड़ है..........

एक सर शर्म से झुका है,'हम अब तक विदेश नहीं जा पाए,

'दूसरी तरफ़ गर्वीला स्वर,'विदेश में नौकरी लग गई है'........

भारत - यानि अपनी माँ को प्रायः सब भूल गए हैं

तो -बीती कहानी बंद करो!!!!!!!!

10 टिप्‍पणियां:

रजनीश ने कहा…

नहीं सुननी काहिलों, कायरों, मूर्खों और स्वार्थ में अंधे लोगों की बातें । देशहित से उनका अभिप्राय स्वहित होता है और यही तो हैं आज के आतंकी । गाँधी, नेहरु, भगत सिंह नहीं हैं तो क्या हुआ अब तो लोग रश्मि प्रभा को जानेंगे और आपकी रगों में दौड़ रहा है वंदे मातरम् की गूँज, तभी तो आपने अपने इकलौते बेटे को आर्मी में भेजा है । गौरवान्वित होते रहें विदेश जाने के नाम पर हम तो स्वदेश में ही आत्मसम्मान की भावना से भरे हुए रहते हैं । वैसे आपने आज का सच बयाँ किया है ।

Akanksha Yadav ने कहा…

देश?जहाँ से विदेश जाने की होड़ है..........

एक सर शर्म से झुका है,'हम अब तक विदेश नहीं जा पाए,

'दूसरी तरफ़ गर्वीला स्वर,'विदेश में नौकरी लग गई है'........

भारत - यानि अपनी माँ को प्रायः सब भूल गए हैं

....Ati sundar bhav.

अखिलेश शुक्ल ने कहा…

Respected Madum Ji
Your poem is nice. pleae send me poems for katha chakra. for details log on to
http://katha-chakra.blogspot.com

AJAY SINGH(Only Student)Bangalore ने कहा…

कविता के माध्यम से आपने जो संदेस दिया हैं उसकी जितनी तारीफ की जाए कम हैं।AJAY SINGH(ONLY STUDENT)

Ram Shiv Murti Yadav ने कहा…

बहुत सुन्दर लिखा है.समाज की सोच पर चोट करती सार्थक कविता..बधाई.

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World ने कहा…

बहुत खूब. समाज को आइना दिखाती कविता.

निर्मला कपिला ने कहा…

सामयिक अभिव्यक्ति है बहुत बदिया

डॉ. महफूज़ अली (Dr. Mahfooz Ali) ने कहा…

very nice ....keep it up....

KK Yadav ने कहा…

बेहद सुन्दर , आभार...!!

adil farsi ने कहा…

बहुत सुदर कविता के लिऐ ...बधाई